Ab Haar Maan Lene Ka Mann Karta Hai
जब रास्ते में सिर्फ अंधेरा देखें कोशिश करने के बाद भी कंधे झुके मिले धीरे-धीरे करके उम्मीद टूटने लगी है तब हार मान लेने का मन करता है हार मान लेने का मन करता है तुम धीरे-धीरे करके कुछ सीढ़ियां चढ़ते हो मंजिल धुंधली ही सही पर नजर आने लगती है
फिर अचानक तुम्हारा पेअर फिसलता है और तुम नीचे की तरफ खुद को गिरता हुआ देखते हो और सारी कोशिशें बेकार लगने लगती है
अब तुम खुद से भी पीछे हो गए हो जहां से शुरू किया था उससे भी नीचे हो गए हो बार-बार के चलने लगे हो चलते चलते हाथ पैर मार के थक चुके हो कोशिश करते करते
खुद से विश्वास टूटने लगा है हर शख्स ऐसा लगता है कि तुम पर ही हंस रहे तुम्हारी उम्मीद तुम्हें हर बार धोखा दे देती है एक वक्त के बाद तुम्हें खुद से नफरत होने लगती है
किसी अच्छी खबर की बस आशा लगा रखी है जिंदगी ने केवल निराशा लगा रखी है तुम सोचने लगते हो शायद मैं इसके लिए बना ही नहीं मुझ में ही कोई कमी है यह काम मुझसे होगा ही नहीं
कोई कब तक कोशिश करेगा भागते भागते एक
वक्त के बाद तो था ही ना तुमने जान लगा दी थी मगर अब सब छोड़ने का मन करता है ना चाहते हुए भी अपनी ख्वाहिशों का दम घुटने का मन करता है
अब सच में हार मान लेने का मन करता है यार पर दिल कहता है ! नहीं, अभी नहीं एक और कोशिश करते हैं किनारे पर बैठकर मजा नहीं आएगा समंदर में कूद कर देखते हैं
शायद इस बार कुछ हो जाए यह शायद ही तो है जिंदा रखा है उम्मीद का छोटा सा दीप जला के रखा है कि मैं उठूंगा फिर चलूंगा जान नहीं बची फिर भी लडूंगा। सिर्फ
उस शायद की वजह से क्योंकि कोशिश की तभी कुछ होगा या नहीं होगा और अगर कोशिश नहीं की तब तो पक्का ही नहीं होगा
तो खुद को बार-बार मौके देने पड़ते हैं तभी तो मौका बनता है कि जीत सकते हैं बस मैदान छोड़कर भागना नहीं हारना जीतना है परिणाम से डरना नहीं है और एक बात हमेशा याद रखना लगे रहने से चीजें हो जाती हैं तो लगे रहो।
Writer : Abhash Jha
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