Love Poetry in Hindi : हम अपने प्रिय प्रेमी के लिए प्रदान करते हैं। अगर इस पूरी रचना में कुछ सबसे कीमती है, तो यह सिर्फ प्यार का एहसास नहीं है। हम सभी से प्यार मांगने से पहले सभी को पूरी ईमानदारी के साथ प्यार देना चाहिए। तो चलिए स्टार्ट करते हैं अगर आप दिल की विफलता के शिकार हैं या आपका प्यार बढ़ रहा है या बात दिल टूटने की है तो इसके साथ शब्द भी दिए जाते हैं। प्रेम कहानी को कभी कविता के रूप में तो कभी प्रेम कविता के रूप में सुनाया जाता है
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तुम इतनी जरूरी क्यों Love Poetry in Hindi
तुम इतनी जरूरी क्यों हो मेरे लिए
क्यों मैं खुद को तुम्हारे बिना
सोच ही नहीं पाता
मैं बहोत लोगो से बात करता हूँ
पर मुझे तब ही क्यों फ़र्क़ पड़ता है
जब तुम्हारा रिप्लाई टाइम से नहीं आता
क्यों मैं वापस तुम्हरे पास ही जाता हु
जब की तुमसे मुझे बेचैनिया ज़्यादा मिलती हैं
अपने मन की बातें मैं आसानी से
कभी ज़ाहिर नहीं करता
पर तुमसे कहने में पता नहीं क्यों
मुझे हिचकिचाहट होती ही नहीं है
मेरे साथ कुछ भी नया होता है
मैं सबसे पहले वह ख़ुशी केवल
तुमसे ही क्यों बाटना चाहता हूँ
मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता मेरे दोस्त कब
किस्से बातें करते हैं
पर तुम्हे किसी के साथ देख कर मैं
क्यों ज़्यादा सोचने लग जाता हूँ
तुम जागती हो रात भर
तोह मेरी नींद पे असर क्यों पड़ता हैं ?
तुम्हारी फोटो पे किसने कमेंट किया ?
मुझे उससे उतना फ़र्क़ क्यों पड़ता है ?
क्यों तुमसे मिलने के बाद भी
मिझे सिर्फ तुम्हारी ही याद आती है
एक तुम्हारी आवाज़ को जब सुन्न लेता हूँ
मेरी तबियत अचानक ठीक कैसे हो जाती है
मैं जब भी कोई गाना सुनता हूँ
तोह तुम्हारा ही चेहरा क्यों सामने आता है
तुम्हरी बातें सोचता राहु अगर
तोह लिखना इतना आसान कैसे हो जाता है
मैं अपने किसी भी काम में मशगूल राहु
तुम्हारा ख्याल उस पल में भी
कैसे मौजूद रहता है
जिसने मुझे दुःख पहोचाया हो
मैं उसकी तरफ पलट कर भी नहीं देखता
पर तुम्हारे यह दिल हर बार
दूसरे मौके क्यों देता रहता है
मैं अपने दोस्तों यारो में भी
तुम्हारा ही ज़िक्र क्यों करता हूँ ?
मेरे हालात चाहे कुछ भी रहे
मैं पहले तुम्हारी ही फिक्र क्यों करता हूँ ?
तुम्हे जो चीज़ अच्छी लगती है
वह मुझे अपने आप ही पसंद आ जाती है
तुम इतनी ज़रूरी कैसे हो गयी मेरे लिए
बस यही बात तोह है जो समझ नहीं आती है
कहीं इसको हो तोह प्यार नहीं कहते ?
अगर हाँ तो तुम थोड़ा और पास
क्यों नहीं रहते
थोड़ी और बातें क्यों नहीं करते ?
इज़हार करके जाता क्यों नहीं देते
क्यों शायद हम डरते हैं
की जितना नीला है
कहीं वह भी न खो जाए
हम से है ना ?