Lohe ka Taraju : एक व्यपारी का बेटा था राज । एक बार उसे व्यापर में काफी नुकसान हुआ और उसने अपनी तमाम पूँजी गँवा दी।
इस मुश्किल समय में उसने सोचा क्यों न शहर जाकर नए सिरे से काम शुरू किया जाए। उसके पास पुरखों का दिया एक कीमती Lohe ka taraju था।
जान उसने दूसरे शहर जाने की ठानी तो उसने अपना तराजू पास के एक व्यापरी मित्र के यहाँ गिरवी रख दिया और उसके बदले मिले धन से वह दूसरे की ओर निकल पड़ा ।
कुछ ही समय में अपनी मेहनत और नए-नए अनुभवों से सीखकर राज शहर का एक आमिर व्यापारी बन गया।
अब उसके पास धन का अभाव न था। ऐसे में उसे अपने पुरखों के दिए लोहे के कीमती तराजू की याद आई।
उसने निश्चय किया की वो उसे व्यापारी का कर्जा चुकाकर वापस ले लेगा। जल्द ही उसने वापस अपने गाँव लौटने का मन बनाया।
वापस पहुँचते ही वह सबसे पहले अपने उसी व्यापारी मित्र के यहाँ पहुंचा , जिसके यहाँ उसने अपना तराजू गिरवी रख दिया था।
उसने कहा, “मित्र मैंने आपके यहाँ अपना एक तराजू गिरवी रखवाया था। कृपा करके उसे लौटा दें । उसने बदले मैंने जितना भी पैसा आपसे लिया था उसे मैं सूद समेत लौटा रहा हूँ ।”
लेकिन व्यापारी की नियत ख़राब हो चुकी थी। उसने बहाना बनाया , ” अरे ! मित्र अब वो तराजू मेरे पास नहीं है। दरअसल हमारे यहाँ चूहोँ की बड़ी समस्या है, वो हर चीज नष्ट कर देते है। तुम्हारा Lohe ka Taraju भी वही चूहे खा गए। “
व्यापारी के हाव-भाव से राज उसके लालच को समझ गया और उसने उसे सबक सिखाने की सोची ।
उसने व्यापारी से कहा, “आगरा तराजू चूहे खा गए , तो इस स्थिति में आप कुछ भी नहीं क र सकते । चलिए कोई बात नहीं । “
अब में सोच रहा हूँ की पास वाली नदी में जाकर स्नान ही कर लूँ। लम्बी यात्रा के बाद में काफी थक चूका हूँ , स्नान से कुछ ताजगी मिलेगी।
कृपया अपने बेटे को मेरे साथ भेज दीजिए , ताकि जब में स्नान करूँ तो वह मेरे सामान की निगरानी करता रहे।
इस पर व्यापारी राजी हो गया और उसने अपने बेटे राज के साथ भेज दिया । इसके बाद राज और व्यापारी का बेटा साथ में नदी की तरफ चल दिए ।
जब राज ने नदी में स्नान कर लिया , तब वह व्यापारी के बेटे को पास वाली गुफा में ले गया और किसी बहाने से गुफा में छोड़कर बहार आ गया और गुफा का द्वार बंद कर दिया।
इसके बाद वह व्यापारी के पास पहुंचा। उसे अकेला देख व्यापारी हैरान हुआ।
जब उसने अपने बेटे के बारे में पूछा तो राज ने जवाब दिया , “क्षमा करना मित्र मुझे आपके बेटे के लिए बहुत दुःख है।
जब में नदी में स्नान कर रहा था, तब आपका बेटा नदी किनारे खड़ा हुआ था। तभी वहां एक फ्लेमिंगो (एक तरह का लाल पक्षी ) पक्षी उड़ता हुआ आया और आपके बेटे को पंज में दबाकर उड़ गया और में कु छ ना कर सका ।”
राज की ऐसी बातें सुनकर व्यापरी के गुस्से का ठिकाना न रहा। वह नाराज होकर बोला, “तुम झूठ बोल रहे हो भला फ्लेमिंगो जैसा पक्षी मेरे बेटे जितने बड़े बच्चे को पंज में दबाकर कैसे उड़ सकता है ? मैं गॉंव के बुजुर्गो से तुम्हारी शिकायत करूँगा।”
इसके बाद राज को लेकर व्यापारी पास के ही एक बुजुर्ग के पास पहुँच गया और बोला, “यह एक बुरा व्यक्ति है इसने मे रे बेटे का अपहरण कर लिया है।”
इस पर गॉंव वाले भी व्यापारी के पक्ष में बोलने लगे, “तुम ऐसे कैसे कर सकते हो ? इस व्यापारी के बेटे को जल्दी रिहा कर दो । “
गॉंव वालों की बाटे सुनकर राज ने जवाब दिया, “जहाँ Lohe ka Taraju चूहे खा सकते हैं, क्या वहां एक बच्चे को फ्लेमिंगो अपने पंजो में लेकर उड़ नहीं सकता?”
राज का विचित्र उत्तर सुनकर गॉंव वाले हैरान हो गए। एक बुजुर्ग ने राज से इस बात का आशय पूछा।
तब राज ने कहाँ उपस्थित सभी लोगों के सामने अपनी आपबीती सुना दी। उसने यह भी बताया की कैसे उसने अपना तराजू पाने के लिए व्यापरी के बेटे को गुफा में बंद कर दिया।
यह सुनते ही बुजुर्गो ने व्यापारी पर हँसना शुरू कर दिया। इस पर व्यापारी को लज्जा अनुभव हुई और उसने अपनी भूल स्वीकार कर ली।
बाद में गॉंव के बुजुर्गो ने व्यापारी को आदेश दिया की वह राज का Lohe ka Taraju उसे लौटा दे । दूसरी तरफ उन्होंने राज को भी व्यापारी के बेटे को तुरंत रिहा करने का हुक्म सुनाया।
Lohe ka Taraju कहानी का नैतिक
- बुरे काम कनतिजा बुरा ही होता है।
- लालच करना बुरी बात है।
- जैसे को तैसे।
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